जयंत चौधरी ने कैसे अखिलेश-राहुल से अलग अपनाई रणनीति? लोकसभा चुनाव में मिलेगा बड़ा फायदा!

 लोकसभा चुनाव में इस बार फिर से सबकी नजर देश के सबसे अधिक सीटों वाले उत्तर प्रदेश पर है। बीजेपी के लिए यह सूबा सियासी रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे में पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पकड़ मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय लोकदल के साथ समझौता किया है। एनडीए में शामिल होने के बाद बीजेपी ने राष्ट्रीय दल को समझौते के तहत दो सीटें बागपत और बिजनौर दी हैं। पार्टी ने इस बार रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण फैसला लिया है। 1977 के बाद यह पहली बार होगा जब चौधरी चरण सिंह परिवार का कोई भी सदस्य लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगा। जयंत चौधरी की इस रणनीति को अखिलेश यादव और राहुल गांधी के सामने महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार जयंत ने इस चुनाव में परिवारवाद के नाम पर विपक्ष को आईना दिखाने का काम किया है। दूसरी तरफ बीजेपी लगातार परिवारवाद के नाम पर विपक्ष पर हमलावर बनी हुई है।

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