लखनऊ 30 अगस्त। राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने नोटबंदी से हुयी जन धन की हानि का जिम्मेंदार देष के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बताते हुये कहा कि 8 नवम्बर 2016 को देष के प्रधानमंत्री ने जो तुगलकी फरमान सुनाया था उसे जनता आज भी भूल नहीं पायी है। उस दौरान बिना पैसों के न जाने की कितनी बेटियों की शादी टूट गयी जिससे माता पिता को मायूस होना पड़ा, नोट बदलने के लिए बैंक की लाइन में न जाने कितनी मौतें हो गयी और तो और बुजुर्गो और महिलाओं को पुलिस की लाठियां तक खानी पड़ी, बिना पैसे के लोगों का इलाज नहीं हो पाया, जरूरतमंद को न तो दवाई मिल पाई और न तो ब्लड मजबूरन अस्पताल के बेड पर मरीज को दम तोड़ना पड़ा।
श्री दुबे ने कहा कि को आर0बी0आई0 के आकडों ने नोटबंदी को टांय टाय फिस साबित कर दिया। आर0बी0आई0 बता रहा है कि नोटबंदी के बाद विमुद्रित 500 और 1000 रूपये के कुल 15 लाख 32 हजार करोड रूपये के नोट बैंको में जमा हो गये हैं जबकि 8 नवम्बर 2016 को कुल 15 लाख 41 हजार करोड रूपये मूल्य के नोट बाजार में थे तो श्री मोदी जी को यह बताना चाहिए की उनकी नजर में जो कालाधन था वह कहां गायब हो गया या फिर महज 10 हजार करोड रूपये की खातिर लोगो काो काम धन्धे छुडाकर ए0टी0एम0 और बैंको की लाइन में बेवकूफ बनाने के लिए खडा किया था या कोई अन्य कारण था?
श्री दुबे ने कहा कि इन आकडों से यह सिद्व हो गया कि प्रधानमंत्री जी ने सवा 100 करोड किसानों, मजदूरो, बच्चों व्यापारियों और नौकरी पेषा लोगों तथा उद्योगपतियों के जनमत से विष्वासघात तो किया ही है साथ ही देष की जनता द्वारा अपनी गाढी कमाई में से पाई पाई जोडकर की गयी बचत को कालाधन बताकर जो अपमान देष की जनता का किया है उसका जवाब 2019 के लोकसभा चुनाव में जनता मय सूद ब्याज के भाजपा को देगी। उन्होंने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक की गणना ने केन्द्र सरकार की नोटबंदी के नीति को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है क्योंकि पी0एम0 मोदी ने जिन उददेष्यों के लिए नोटबंदी की थी जनता को कष्ट सहने के लिए मजबूर किया था उनका उनमें से एक भी उददेष्य तो पूरा हुआ ही नहीं। न तो आतंकवाद कम हुआ, न तो नकली नोटों का काम बंद हुआ और न ही कालाधन वापस आया।