17 March 2018
17th Mar 2018 - राष्ट्रीय लोक दल
17 मार्च 2018
प्रकाशनार्थ
लखनऊ 17 मार्च। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ0 मसूद अहमद ने बताया कि आम जनता को राहत पहुंचाने वाली बिजली को निजी हाथों में देने का प्रदेश सरकार का फैसला एक बार पुनः यह सिद्व करता है कि सरकार आम जनता की न होकर पूंजीपतियों की है। निजी हाथों में सौंपने का परिणाम यह होगा कि जनता को बिजली मूल्य चुकाने में त्राहि त्राहि करनी पडेगी तथा विभाग में कार्यरत लाखों कर्मचारियों को किसी पूंजीपति के इषारे पर नौकरी करनी पडेगी।
डाॅ0 अहमद ने बताया कि वैसे भी सरकार ने संविदा कर्मियों का रास्ता सभी विभागों में बना रखा है। विभागीय सरकारी नियुक्तियों से सरकार मुंह मोडे बैठी है ताकि कर्मचारियों को पूरा गे्रड भुगतान न करना पडे़ और पूंजीपतियों की उन निजी एजेन्सियों को लाभ मिलता रहे जिनके माध्यम से संविदा कर्मियों की नियुक्ति का अनुबंध विभागों से किया जाता है। बिजली विभाग में भी लाखों संविदा कर्मी कार्यरत हैं और यह कहना अतिषयोक्ति न होगा कि लगभग आधा विभागीय कार्य निजी हाथों के माध्यम से ही चल रहा है। अब पूरा विभाग निजी हाथों में देने की सरकारी तैयारी कर्मचारियों के साथ साथ आम जनता के साथ धोखा है तथा सरकार की असफलता का प्रमाण है।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को सभी विभागों में रिक्त स्थानों की नियुक्तियां बेरोजगारों के लिए तुरंत प्रारम्भ करनी चाहिए और जिन संविदा कर्मियों का विभिन्न विभागों में कार्य संतोषजनक मिल रहा हो उन्हें पारदर्षिता के आधार पर राजकीय कर्मचारी का स्थान देना चाहिए। राष्ट्रीय लोकदल ने स्पष्ट किया कि प्रदेष के किसानों को सरकार ऊँचे दाम पर बिजली दे रही है जिसे तुरंत वापस लेने की आवष्यकता है। सरकार की यह अनदेखी किसानों तथा आम जनता पर और अधिक भारी पड़ेगी यदि इसे निजी हाथों मे ंसौपा जाता है।
यह जानकारी रालोद प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में दी।
(सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी), प्रदेश प्रवक्ता